Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-71




चार प्रकार के मद से मनुष्य भान-भुला सा हो जाता है।
(१) विध्या का मद  (२) जवानी का मद  (३)  द्रव्य का मद  (४)  अधिकार का मद।
इन चार प्रकार के मदों  के कारण  जीव भगवान को भूल जाता है।

अपने रोते  हुए बालक को ताली बजकर शान्त रखने का प्रयत्न करता हुआ
प्रोफेसर उस समय भूल जाता है कि वह एक बड़ा विद्वान प्रोफेसर है।
किन्तु उसी प्रोफेसर को प्रभु कीर्तन के समय ताली बजाने में शर्म आती है।
पढ़े लिखे लोगो को भजन-कीर्तन में शर्म आये तो उससे बड़ा पाप कौन-सा होगा?

भगवान ने कहा है की इन चार प्रकार के मद से जीव उन्मत्त बनता है और मेरा अपमान करता है।
ऐसे मद वालो की जीभ को कीर्तन के समय पाप पकडे रखता है।
पाप उससे कहता है कि- तू बोलेगा तो मुझे बाहर  निकलना पड़ेगा।

महाभारत में कहा है की हर प्रकार के रोग मद के कारण  होते है। अतः दीन  होकर प्रार्थना करे।

कुंती कहती है-"तुम्हारे जन्म के कई प्रयोजन बताए  जाते है किन्तु मुझे लगता है कि  
दुष्टो का विनाश करना ही प्रधान कार्य नहीं है। अपने भक्तो को प्रेम का दान करने के लिए आप आये है।

मुझसे वसुदेवजी ने कहा था कि कंस के त्रास के कारण मै गोकुल नहीं जा सकता।
तुम गोकुल जाकर कन्हैया के दर्शन करना। जब आप गोकुल में बल-लीला कर रहे थे
उस समय मै आपके दर्शन के लिए आई थी। आपका बालस्वरूप भुलाए  नहीं भूलता।
उस समय यशोदा नेआपको बांधा  था। उसकी झांकी  मै आज तक नहीं भूली।
काल भी जिसे काँपता  है वे काल के काल -आप श्रीकृष्ण थर-थर काँप  रहे थे। "

मर्यादा-भक्ति पुष्टि-भक्ति की इस प्रकार प्रशंसा करती है।
कुन्ती  यशोदा की प्रशंसा कर रही है। प्रेम का बन्धन  भगवन भी नहीं भूल सकते।
सगुण  ब्रह्म का  साक्षात्कार करने के बाद संसार में आसक्ति रह जाती है।
सगुण स्वरुप और निर्गुण स्वरुप दोनों को आराधन करे उसी की भक्ति सिद्ध होती है।

कुंती कहती है- "स्वजनों  के साथ जुडी हुई स्नेह की दृढ़ रस्सी (आसक्ति) को आप तोड़ दे। 
आप ऐसी दया करे कि  मुझे आपकी अनन्य भक्ति प्राप्त हो। "

स्तुति के आरंभ और समाप्ति दोनों में नमस्ते है।
सांख्यशास्त्र के २६ तत्वों का प्रतिपादन २६ श्लोको की स्तुति में किया गया है।

भगवान सब कुछ करते है किन्तु अपने भक्त को नाराज नहीं करते।
कुंती का भाव जानकर भगवान वापस लौटे और कुन्ती  के महल में पधारे। अतिशय आनन्द  हुआ।
अर्जुन वहाँ  आया। वह अपनी माता से कहता है कि भगवान मेरे सखा है,अतः मेरे लिए ही वापस लौटे है।

कुन्ती कहती है -रास्ता रोककर मैंने विनती की इसलिए वे वापस आये है।
द्रौपदी कहती है की कृष्णा की उंगली कट  गई थी तो मैने अपनी साड़ी चीरकर पट्टी बांधी थी
इसलिए वापस आये है।
सुभद्रा कहती है कि तुम्हारी भाँति; मई मुँहबोली नहीं किन्तु सगी बहन हूँ अतः वे वापस आये है।
मुझे मिलने आये थे उस समय मे कुछ बोल न सकी थी,सो वे वापस आये है।


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