Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-482-Skandh-12


स्कन्ध -१२


स्कन्ध-११ श्रीकृष्ण का ज्ञान-स्वरुप है।
स्कन्ध -१२ प्रेम स्वरुप है।
ज्ञान और प्रेम अंत में तो एक ही है। जिसे परमात्मा का ज्ञान होता है वही परमात्मा को प्रेम कर सकता है।
उसी तरह जिसे परमात्मा के साथ प्रेम होता है उसे ही परमात्मा का ज्ञान मिल सकता है।
जो परमात्मा केसाथ प्रेम करता है वह परमात्मा के  शरण में रहता है,मुक्त बनता है।

स्कन्ध-११ में मुक्ति-लीला है।
मुक्त जीव परमात्मा के आश्रय में रहते है। इसलिए स्कन्ध-१२  में आश्रय लीला है।

राजा परीक्षित ने पूछा-अब इस पृथ्वी पर किसका राज्य होगा?
शुकदेवजी- जरासंघ के पिता बृहस्थ के वंश का अन्तिम राजा होगा पुरंजय और उसके मंत्री का नाम होगा शुनक। वह अपने स्वामी को मार कर अपने पुत्र प्रद्योत को राज सिंहासन पर बिठायेगा। बाद में इस भारत खंड में नन्द,चंद्रगुप्त,अशोक आदि राजा होंगे। उसके बाद आठ यवन तथा दस गोरे  राजा राज्य करेंगे।

कलियुग की छलिया राजनीती भारत के टुकड़े-टुकड़े करके देश को छिन्न-भिन्न कर  देगी।
कलियुग के दुष्ट शासक गायों की हत्या करेंगे,प्रजा का धन हड़पकर विलास-वैभव में लीन रहेंगे।
राजाओं रक्षक नहीं पर भक्षक होंगे।
कलियुग के ब्राह्मण वेद तथा संध्या से विहीन हो जायेंगे।
अपने परिवार मात्र का पालन-पोषण करना ही चतुराई मानी जाएगी और धर्म का सेवन मात्र
कीर्ति के हेतु ही किया जायेगा। कलियुग की स्त्री अति  कामी होगी। पुरुष स्त्री के आधीन होंगे।

शुकदेवजी कहते है -कलियुग के अंत में धर्म की रक्षा के हेतु भगवान् “कल्कि” अवतार धारण करेंगे।
पृथ्वी पर आज तक न जाने कितने सम्राट आये और चले भी गए।
इस पर से मनुष्य को बोध लेना चाहिए कि अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी का द्रोह न करे।

इस स्कन्ध में कलियुग के लक्षण,दोष तथा उनसे बचने के उपाय बताये है।
सबसे श्रेष्ठ उपाय है भगवान के नाम का संकीर्तन।
कलियुग के दोष होने पर भी एक लाभ है।
कलियुग में जो भी कृष्ण कीर्तन करेगा उसके घर कलि कभी नहीं जायेगा।
कलि से बचने का एक मात्र उपाय है कृष्ण-कीर्तन।

   PREVIOUS PAGE          
        NEXT PAGE       
      INDEX PAGE