मन जो विषयों में आसक्त हो जाये तो वह बन्धन का कारण बनता है और
वही मन यदि परमात्मा में आसक्त हो तो मोक्ष का कारण बन जाता है।
मन यदि विशाल हो जाय, तो भगवान आते है।
मन में छिपी हुई अहंता-ममता,अपने-पराए की भावना ही मन को दुःखी करती है। मन के ये धर्म (सुख-दुःख)
आत्मस्वरूप में भासमान होने के कारण आत्मा स्वयं को सुखी-दुःखी मानती है,
परन्तु वास्तव में वह -आत्मा-आनंदस्वरूप है।
मन के सुधरने पर सब कुछ सुधरता है और मन के बिगड़ने पर सब कुछ बिगड़ता है।
सुख-दुःख के दाता है,अहंता और ममता। उन्हें छोड़ देने पर ही आनन्दस्वरूप मिलता है।
पाप करने के लिए किसी को प्रेरणा देने की जरुरत नहीं पड़ती,किन्तु पुण्य करने के लिए प्रेरणा देनी पड़ती है।
मन अधोगामी है।
मनुष्य का मन पानी की भाँति गड्ढे की ओर ही बहता है। जल की तरह मन भी अधोगामी है।
जल की तरह मन का स्वभाव भी ऊपर नहीं,नीचे की ओर जाने का है।
इस मन को ऊपर चढ़ाना है।उसे परमात्मा के चरणो तक ले जाना है।
यंत्र (मोटर) के संग में आने से पानी ऊपर चढ़ता है,उसी तरह मन्त्र के संग में आने पर मन ऊपर चढ़ता है।
मन को मन्त्र का संग दो। मंत्र का संग होगा तो अधोगामी मन उर्ध्वगामी बनेगा।
जिसने अपना मन सुधारा है वह दूसरो को भी सुधार सकेगा। मन शब्द को उल्टा दोगे तो बनेगा नम।
नम और नाम ही मन को सुधारेंगे।
भगवान का निर्गुण स्वरुप होने के कारण दिखाई नहीं देता और
भगवान का सगुण स्वरुप तेजोमय है,अतः वह भी नहीं दीखता।
इसी कारण से हम जैसो के लिए भगवान का नामस्वरूप,मन्त्रस्वरूप ही इष्ट है।
भगवान चाहे स्वयं को छिपा ले,किन्तु अपने नाम को नहीं छिपा सकते।
नामस्वरूप प्रकट है,अतः परमात्मा के किसी नामस्वरूप का दृढ मन से आश्रय ले लो।
मंत्र के बिना मन शुध्धि नहीं हो सकती। बिगड़ा हुआ मन ध्यान के साथ तप करने से सुधरेगा।
लौकिक भावना से मन बिगड़ता है,और अलौकिक वासना के जागने पर वह सुधरेगा।
वासना का नाश वासना से ही करना पड़ता है। असत वासना का विनाश सद्वासना से होगा।
जब मनुष्य सोचता है कि मुझे जन्म-मरण के फेरों से मुक्त होना है,किसी माता के गर्भ में जाना नहीं है,और
इसी जन्म में परमात्मा के दर्शन करने है,ऐसी भावना से मन सुधरता है।
कांटा कांटे से निकलता है,उसी तरह वासना ही वासना को बहार करती है।
फ़िल्म देखने की वासना दूर करनी हो तो परीक्षा में पहला नंबर आने की वासना रखो।
ऐसी भावना से अध्ययन की रूचि से फ़िल्म देखने की वासना छूट जाएगी।