Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-131


यमदूत इस जीवात्मा को देह में से बाहर खींच निकालते है।
अन्तकाल में दो यमदूत आते है-पुण्यपुरुष और पापपुरुष। दोनों यमदूत जीवात्मा को मारते है।
पुण्य पुरुष जीव से कहता है कि पुण्य करने का तुझे अवसर दिया गया था,फिर भी तूने पुण्य क्यूँ नहीं कमाया?
मरते समय जीव बड़ा छटपटाता है। यमदूतों की गति पग से आँख तक होती है।
ब्रह्मरंध्र में जो अपने प्राण स्थिर कर सकता है,उसका यमदूत कुछ नहीं कर सकते।

मृत्यु के बाद पूर्वजन्म याद नहीं आता।
स्थूल शरीर के अंदर सूक्ष्म शरीर होता है और सूक्ष्म शरीर के अंदर कारण शरीर।
सूक्ष्म शरीर के अन्दर रहती हुई वासनाएँ ही कारण शरीर है।

यमदूत जीवात्मा को उसके साथ ही यमपुरी ले जाते है।अतिशय पापी के लिए यमपुरी का मार्ग भयंकर होता है। पापी को गर्म बालू पर चलना पड़ता है।
फिर,जीवात्मा को उसके द्वारा किये गए पापों की सूचि यम की राजसभा में चित्रगुप्त सुनाते  है।
चौदह साक्षी भी उपस्थित किये जाते है। वे साक्षी है,पृथ्वी,चन्द्र,सूर्य आदि।  
उसके बाद,जीवात्मा को उसके पापों के अनुसार नरक-दंड दिया जाता है।
यदि किसी के पाप-पुण्य समान हो तो उसे चन्द्रलोक में भेजा जाता है। पुण्य के समाप्त होने पर जीव को फिर मनुष्यलोक में जन्म लेना पड़ता है। कई  जन्म-मरण के दुःख उसे भुगतने पड़ते है।

महाभारत के शान्ति-पर्व में एक कथा आती है।
वृन्दावन में एक महात्मा रहते थे।
वे एक बार ध्यान में बैठे थे कि एक चूहा उनकी गोद में छिप  गया,क्योंकि बिल्ली उसके पीछे दौड़ रही थी।
महात्मा ने दया से उस  चूहे को कहा कि -तुज़े बिल्ली से डर  है तो -तू कहे तो तुझे मै बिल्ली बना दू।
चूहे की बुद्धि भी आखिर कैसी हो सकती है। उसने सोचा यदि मै बिल्ली बन जाऊ तो फिर उसे कोई डर नहीं रहेगा। चूहे की मांग पर महात्मा ने उसे बिल्ली बना दिया।
एक बार उस बिल्ली का पीछा कुत्ते ने किया,तो बिल्ली ने  कुत्ता बनना चाहा। 
महात्मा ने उसे कुत्ता बना दिया ।
वही कुत्तेके पीछे -जंगल में एक बार शेर ने पीछा किया-तो उसने शेर बनना चाहा। 
महात्मा ने उसे शेर बना दिया।

अब उसकी मति भ्रष्ट हो गई और हिंसकवृत्ति जागृत हुई। उसने सोचा कि इस महात्मा को खा जाऊ अन्यथा वे मुझे कहीं फिर से चूहा न बना दे। अब वह महात्मा को खाने के लिए आया तो महात्मा ने कहा कि -
वाह,अब तू मुझे ही खाना ही चाहता है? और फिर,उन्होंने उसे फिर से चूहा बना दिया।

यह कथा केवल चूहा-बिल्ली की नहीं,हमारी भी है। यह जीव कभी चूहा था,बिल्ली था
और अब मानव बन गया तो कहने लगा कि मै ईश्वर को नहीं मानता। धर्म मुझे स्वीकार नहीं है।
तब भगवान भी सोचते है कि अब तू कहाँ जायेगा?मै तुझे फिर चूहा-बिल्ली बना दूँगा।
इस मनुष्य जन्म में जीव ईश्वर को पहचानने और प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं करेगा
तो उसे फिरसे  पशु ही बनना पड़ेगा।


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