Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-137


पार्वती के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हुई कि  अनसूया मुझसे भी बढ़कर है।
श्रीशंकर जब समाधि से जागे तो पार्वती ने वंदन किया।
घर के लोग बहुत वंदन करे तो समझ लेना कि गड्ढे में उतारने की तैयारी है।
शंकर ने पूछा-क्या बात है?
पार्वती ने कहा कि किसी भी प्रकार से अनसूया का पातिव्रत्य भंग हो,ऐसा करो।

शिवजी कहते है-जो दूसरो का बुरा करने की इच्छा करता है,उसका ही बुरा होता है।
इसमें कल्याण नहीं है देवी। परन्तु तेरी इच्छा है तो प्रयत्न करूँगा।

दूसरी, ओर नारदजीने- लक्ष्मीजी और सावित्रीजीसे मिलकर अनसूया की पतिव्रता की बात की।
तो फिर पार्वतीजी की  तरह ही,
लक्ष्मीजी ने विष्णुके पास, और सावित्रीजी ने ब्रह्माके पास- पार्वतीके जैसा ही माँगा।

ब्रह्मा-विष्णु-महेश तीनो चित्रकुट में मिले।
तीनो देव अनसूया के आश्रम में भिक्षा मांगने आते है।
भिक्षा मांगते हुए कहा कि -हम भिक्षा मांगते है,मगर आप नग्न होकर भिक्षा दे तो ही हम लेंगे।
अनसूया सोचती है कि -यदि नग्न होकर  भिक्षा दूँगी तो मेरा पातिव्रत्यका भंग  होगा और
अगर भिक्षा नहीं दूँगी तो घर-आँगन  हुए अतिथि वापस जायेंगे तो महापाप होगा।

तीनो भगवान-जब "नग्न होकर भिक्षा दो"-ऐसा कहते है तो -महात्माओ उसका अर्थ निकलते है कि-
भगवान कहते है कि-वैष्णव मुझे वासनारहित -निष्काम होकर भिक्षा दें।
ईश्वर को वासनारहित होकर,निष्काम होकर सब कुछ अर्पण करना है।

अनसूया के मन में कोई वासना नहीं थी।
सूक्ष्म वासना भी यदि मन में होती तो ये तीन देवता उनके पास नहीं आते।
अनसूया ने परमात्मा का ध्यान किया और तीनो देवताओं पर पानी छिड़का। तो-तीनो देव बालक बन गए।
पतिव्रता में इतनी शक्ति होती है।

इस तरफ तीनों  देवो की पत्नी हैरान है। सुबह के गए है और अभी तक लौटे नहीं है.
तीनों देवी उन्हें ढूँढने निकलती है। तीनों देवी चित्रकूट में आई। वहाँ नारदजी मिले।
देवियों ने पूछा कि हमारे पति के कुछ समाचार जानते हो?
नारदजी कहते है कि- पहले यह तो बताओ कि  बड़ी कौन है?आप या अनसूया?
देवियाँ कहती है कि अनसूया बड़ी है परन्तु हमारे पति है कहाँ ?
नारदजी ने कहा-सुना है कि आपके पति बालक बन गए है। वे अनसूया के घर में मिलेंगे।

दूसरो से असूया करने वालों को शान्ति नहीं मिलती।
देवियाँ अब डरती  है। सोचती है कि यदि हम वहाँ  जाए और अनसूया यदि शाप दे तो?

नारदजी कहते है कि आप भले मत्सर करे परन्तु अनसूया मत्सर नहीं करेगी।
अनसूया तो आपको सद्भाव से देखेगी और आपके प्रति सद्भाव रखेगी।

तब देवियाँ आश्रम में आती है।


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