Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-218-स्कंध-8


सातवें  स्कंध में वासना की कथा सुनाई और बताया कि  
प्रह्लाद की सद्वासना,मनुष्य की मिश्र वासना और हिरण्यकशिपु की असद्वासना है।

आठवें स्कंध में वासना का विनाश करने के लिए चार उपाय बतलाये है।
-हमेशा हरिस्मरण--ह्रदय में राम हो तो काम वासना नहीं जागेगी।
-अपने पास जो भी धन-मिलकत है यह सब ईश्वर का है और सबके लिए है ऐसा समझोगे  तो वासना का विनाश होगा। जीव लक्ष्मी का मालिक कभी नहीं हो सकता। जीव तो लक्ष्मी का पुत्र है। बालक होने से जो आनंद मिलता है,वह मालिक होने से नहीं मिलता।
-विपत्ति में स्ववचन का पालन करो-बलि राजा की तरह। बलि राजा ने सर्वस्व का दान वचन से किया है।
-शरणागति-ईश्वर की शरणागति लेने से अहम मरता है और ईश्वर में तन्मयता आती है।

अष्टम स्कंध को मन्वन्तर लीला भी कहते है।

शुकदेवजी कहते है -राजन,प्रत्येक मन्वन्तर में प्रभु का जन्म होता है। प्रत्येक मनु के राज्य में प्रभु का एक विशिष्ट अवतार होता है। इस कल्प में छ मन्वन्तर हुए है।
पहले में -स्वायम्भुव मनु की कथा मैने तुम्हें सुनाई।
स्वायम्भुव मनु की पुत्रियाँ आकृति और देवहूति के चरित्र की बात की।
दूसरे मन्वंतर में-स्वायम्भुव मनु तपश्चर्या करने के लिए वन में गए।
वहाँ श्रीयज्ञ भगवान ने राक्षसो से उनकी रक्षा की।
तीसरे में -मनु हुए उत्तम और प्रभु ने “सत्यसेन”के रूप से अवतार लिया।
चौथे में -”हरि”नाम का अवतार लिया और उन्होंने गजेन्द्र की ग्राह से रक्षा की।

परीक्षित राजा कहते है -गजेन्द्र मोक्ष की कथा सुनाओ।
(अध्याय २ से अध्याय ४ -तक गजेन्द्र मोक्ष की कथा है।)

शुकदेवजी कहते है -राजन,त्रिकुट पर्वत पर एक बलवान हाथी रहता था।  वह अनेक हथिनियों का पति था।
गर्मी के दिन थे। गजेन्द्र हथिनियों के साथ सरोवर में जलक्रीड़ा करने गया।
गजेन्द्र  जलक्रीड़ा में तन्मय था यह जानकार एक मगर ने उसका पाँव पकड़ लिया।
उसके  पंजे में से छूटने के लये हाथी ने बहुत प्रयत्न किए। हाथी स्थलचर और मगर जलचर है।
अतः हाथी जल में दुर्बल बन गया।मगर,हाथी को छोड़ता नहीं है।

गजेंद्रमोक्ष की यह कथा प्रत्येक घर में होती है।
इस कथा का रहस्य यह है -
संसार एक सरोवर है। इस सरोवर में जीवात्मा स्त्री और बालकों के साथ क्रीड़ा करता है।
जिस संसार में जीव खेलता है उसी संसार में उसका काल नियत किया गया है।
संसार में जो कामसुख का उपभोग करता है उसे काल मारता है।


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