अगर चित्त में ईश्वर आये तो जीव कृतार्थ होता है। परमात्मा के दर्शन होए तब “चित्त”चित्रकूट बनता है।
लक्ष्मण वैराग्य है। सीताजी पराभक्ति का स्वरुप है। राम परमात्मा है।
जब भी संकल्प करो,शुभ ही करो। हमेशा सोचो कि परमात्मा चित्त में बसते है।
रघुनाथजी मन्दाकिनी के किनारे पधारे। वहाँ अत्रि ऋषि का आश्रम है। मन्दाकिनी के किनारे पर्णकुटी में सीताराम निवास करते है। गृहक साथ है और सभी सेवा करता है।
राम के आगमन के समाचार भील,किरात आदि लोगो में फैल गए। रामचन्द्रजी के दर्शन के लिए सभी आने लगे। उनके दर्शन करते हुए जड़ चेतन बन जाता है और चेतन जड़ सा। उनके दर्शन से उनके पाप छूट गया।
स्वभाव बदल गया। जीवन सुधर गया। रामजी के नजर में ऐसा जादू है कि भील लोगों ने मदिरापान और मांसाहार छोड़ दिया है। चोरी करना भूल गए है।
रामजी चित्रकूट में विराजे है तब से चित्रकूट के वृक्ष,फूल और फल से भर गए और झूमने लगे। प्रतिदिन कई ऋषि-मुनि रामजी के दर्शन के लिए आते थे। रामजी का नियम है-वे मन्दाकिनी में स्नान करते है,सूर्य को अर्ध्यदान देते है। भगवान शंकर की नियमपूर्वक सेवा करते है। लक्ष्मण कंदमूल लाते है वह खाते है।
अब गृहक को विदाय दी है।
इस तरफ मंत्री सुमंत को अयोध्या वापस लौटने की आज्ञा दी थी,फिर भी,
गृहक चित्रकूट से वापस आए तब तक सुमंत गंगा किनारे पर ही रहे थे।
सुमंत के घोड़े भी उसी दिशा में नज़र टिका रहे है जिस दिशा में रामचन्द्रजी गए थे।
उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया है।
सुमंत सोच रहे है कि-जिनके वियोग में पशु तक इतने दुखी हो रहे है,तो उनके माता-पिता की व्याकुलता का तो क्या कहना।वे अब कैसे जी पायेंगे। अयोध्या की प्रजा पूछेगी कि राम को कहाँ छोड़ आये तो मै क्या उत्तर दूँगा। धिक्कार है मुझे कि मै रामजी को छोड़कर जिन्दा वापस जा रहा हूँ।
गृहक आए और सुमंत से कहने लगे -मंत्रीजी,आप तो ज्ञानी है।
अब आप धैर्य ग्रहण करे और अयोध्या वापस पधारें। गुहक ने,साथ में चार भील सेवक भी भेजे।
मध्य रात्रि के समय सुमंत अयोध्या पहुँचे।
मै किसी को अपना मुँह नहीं दिखाऊँगा। कोई पूछेगा तो मै क्या उत्तर दूँगा?
दूसरे दिन सुबह वे कैकेयी के महल में गए। महाराज दशरथ के दर्शन नहीं हुए।
हुआ ऐसा था कि रामजी के वन प्रयाण के बाद दशरथ राजा ने कहा कि अब मै कैकेयी के महल में नहीं रहूँगा।
मुझे कौशल्या के महल में ले जाओ । इसलिए वे कैकेयी के महल में नहीं थे। सुमंत को इस बात की खबर नहीं थी। वे फिर कौशल्या के महल में गए।