लगता है कि कुछ साँस की बीमारी हुई है।
कौशल्या बोली-कहीं कोई राक्षस की नजर तो नहीं लगी? उन्होंने वशिष्ठजी को बुलाया।
वशिष्ठजी समझ गए है। आज प्रभु के कोई भक्त का अपमान हुआ होगा।
भक्त के दुःख से भगवान दुःख हो रहा है। उन्होंने पूछा -आज कोई गड़बड़ तो नहीं हुई है?
सीताजी ने कहा -हनुमानजी की सेवा छीन लिए जाने के कारण यह सब हुआ और प्रभु ने ठीक से भोजन भी नहीं किया। और उन्होंने हनुमान की चुटकी बजाने की सेवा की बात बताई।
सभी राम के आवास में आये। वहाँ हनुमानजी नाचते हुए चुटकी बजाते रामनाम का जप कर रहे थे।
वशिष्ठजी ने कहा -महाराज कीर्तन करो पर चुटकी मत बजाओ। आप चुटकी बजाओगे तो रामजी को जंभाई आएगी। चुटकी बंध हुई और रामजी की जंभाई भी बंध हुई।
पूरा जगत रामके आधीन है। और रामजी हनुमानजी के आधीन है।
हनुमानजी - देहबुद्धि से राम का दास हूँ। जीवबुध्धि से राम का अंग है ।
आत्मदृष्टि से सोचो तो हम एक है। हम सबमे और राम में कोई भेद नहीं है। भक्त और भगवान एक है।
ब्रह्म का ज्ञाता ब्रह्म से अलग नहीं रह सकता।
रामायण की कथा करुणरस-प्रधान है। बालकांड के सिवा अन्य सभी कांड दर्दभरे है। रामायण समाप्त होने पर वाल्मीकि सोचने लगे इन सबमे तो तो करुणरस भरे है। अतः उन्होंने बाद में आनंद रामायण की रचना की।
रामायण का एक एक पात्र आदर्श है।
श्रीराम जैसा कोई पुत्र नहीं हुआ। वसिष्ठ जैसा कोई गुरु नहीं हुआ। दशरथ जैसा कोई पिता नहीं हुआ।
कौशल्या जैसी कोई माता नहीं हुई। श्रीराम जैसा कोई पति नह िहुआ।सीता जैसी कोई पत्नी नहीं हुई।
भरत जैसा कोई भाई नहीं हुआ। रावण जैसा कोई शत्रु नहीं हुआ।
उच्च प्रकार का मातृप्रेम,पुत्रप्रेम,भातृप्रेम,पतिप्रेम,पत्नीप्रेम वगेरे कैसा रामायण में बताया है।
रामायण रामजी का नामस्वरूप है।
रामायण का एक एक कांड रामजी का अंग है।
बालकांड चरण है। अयोध्याकांड जंघा है।अरण्यकांड उदर है। किष्किंधाकांड ह्रदय है। सुंदरकांड कंठ है।
लंकाकांड मुख है। उत्तरकांड मस्तक है।
श्रीराम का नामस्वरूप रामायणका जीवमात्र उद्धारक है। रामचन्द्रजी जब इस पृथ्वी पर साक्षात अवतरित होते है तब अनेक जीवों का उद्धार करते है। पर जब वे प्रत्यक्ष नहीं होते तो नामस्वरूप से जीवका उद्धार करते है। इसलिए राम से भी अधिक राम-नाम श्रेष्ठ है ऐसा महात्मा लोग कहते है।
रामचरित्र मार्गदर्शक है। रामायण में से सभी को सीख मिलती है। अपना मन कैसा है,यह जानना हो तो रामायण पढ़ना चाहिए। जिसका अधिकतर समय निद्रा और आलस में बीत जाता है,वह कुम्भकर्ण है।
पर स्त्री का कामभाव से चिंतन करे वह रावण है। रावण काम है,काम रुलाता है,दुःख देता है।
जो रुलाता है वह रावण है। परमानन्द में रखने वाले राम है।