Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-316



वसुदेव को खबर मिली थी कि कंस ने पूतनाको बच्चों को मारने के लिए गोकुल भेजी है।
इसलिए उन्होंने नंदबाबा को कहा -ये दिन आपके लिए अच्छे नहीं है। आपके गाँव में कोई राक्षसी आएगी।
आप बाहर घूमो वह ठीक नहीं है। जल्दी गोकुल जाओ।
नन्द (जीव-या-आत्मा) गोकुल छोड़कर कही दूर जाता है वहाँ काम,मद,लोभ,मोह,मत्सर आदि राक्षस धमकते है। नन्द,कृष्ण को छोड़कर कंस के पास जाते है तो गोकुल में विपत्ति आती है,ऊधम मच जाता है।

नंदबाबा गोकुल वापस जाते है। उन्होंने सोचा गोकुल में खिलौने नहीं मिलते,इसलिए मथुरा से लेता जाऊ तो कन्हैया खुश होगा। घर के लोग को जब तक कुछ दोगे तो प्रेम बताएँगे फिर भूल जायेंगे।
पर कन्हैया को दोगे  तो वह हमेशा याद रखेगा। इसीलिए,कहीं बाहर जाओ तो वहाँ से ठाकुरजी के लिए
कोई अच्छी से चीज ले कर जाओ। तुम्हारा प्रवास भक्तिमय बनेगा।

कंस को जब योगमाया ने आकाशवाणी द्वारा कहा कि तेरे काल का जन्म हो गया है तो वह घबराया है।
उसने तुरन्त सभी जन्मे हुए बच्चों की हत्या करने का आदेश दिया और
इस हेतु से उसने पूतना को गोकुल की ओर भेज दिया।

पूत का अर्थ है पवित्र। पूत नहीं है वह पूतना। पवित्र क्या नहीं है?अज्ञान।  
सो पूतना का अर्थ है अज्ञान,अविद्या और पवित्र है केवल ज्ञान।
गीताजी में कहा है - इस संसार में ज्ञान के सिवाय पवित्रकर्ता और कुछ नहीं है।
आत्मस्वरूप का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है। ज्ञान पवित्र है और अज्ञान अपवित्र।
अज्ञान से वासना का जन्म होता है। पूतना वासना का स्वरुप है।

पूतना चतुर्दशी के दिन गोकुल में आई है। पूतना चतुर्दशी के दिन क्यों आई?
कहते है -पूतना (वासना) ने चौदह ठिकानों पर वास किया है। अविद्या -वासना चौदह स्थानों में बसती है।
पाँच ज्ञानेन्द्रिय,पाँच कर्मेन्द्रिय,मन,बुध्धि,चित्त और अहंकार-
ये चौदह स्थान वासना-अविद्या -पूतना के बसने के लिए है। इसी कारण से वह चतुर्दशी के दिन आई।

नीति और धर्म के मना करने पर भी यदि आँखे परस्त्री के पीछे भागे -
तो मान लो कि अपनी आँखों में पूतना आ बसी है। आँखों में पूतना होगी तो काम मन में भी बसेगा।
जगत के किसी भी व्यक्ति को भगवद भाव से देखने में बुराई नहीं है किन्तु किसी भी व्यक्ति को सांसारिक काम-भाव से देखोगे तो समझ लेना कि मन में पूतना बसी है।

धर्म और नीति,जिस पदार्थ का आहार करने को मना करे,वही खाने की इच्छा हो -
तो मान लो कि तुम्हारी जीभ में पूतना बसी है।
बीभत्स और अति कामुक बातें सुनने की इच्छा हो तो समझो कि पूतना कान में भी सवार हो गई है।
पूतना हरेक इन्द्रिय में बसी हुई है,जो बहुत सताती रहती है।
सभी इन्द्रियों के द्वार बंद कर दो जिससे पूतना अंदर प्रविष्ट ही न कर सके।

पूतना सज-धज कर,सुंदरी का रूप लेकर गोकुल आई।
तीन वर्ष की आयु तक बालक शिशु कहा जाता है। इस शिशु को मारने के लिए पूतना आई है। प्रश्न यह है कि पूतना तीन वर्ष तककी आयु के बालक को ही क्यों मारती है और उससे बड़ी आयु के बालक को क्यों नहीं मारती? उसके पीछे अलग-अलग तर्क है।

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