Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-318


दशवें स्कंध में सभी महात्मा प्रेम से पागल बने है।
पूतना को देखकर कन्हैया ने आँखे बंद क्यों की?उसके कई कारण इन  महात्माओं ने बताये है।

(१) पूतना स्त्री थी। स्त्री अवध्य मानी गई है। शास्त्रमें स्त्रीको मारने की मनाई है।
लालजी को स्त्री को मारने में संकोच होता है इसलिए आँखे बंद कर ली है।

(२) एक महात्मा को यह कारण कुछ ठीक नहीं लगता। वे कहते है कि पूतना स्त्री थी पर
उसने बालकों की हत्या की थी और यहाँ उसी हेतु से कन्हैया को मारने आई थी।
भगवान के आँखे मूंदने का कारण कुछ और ही है। उनकी आँखों में वैराग्य है।
उन्होंने सोचा कि यदि वे पूतनासे आँख मिलाएंगे तो उसे ज्ञान प्राप्त होगा और वह जान जाएगी कि यह ईश्वर है। मेरे ईश्वरत्व का उसे ज्ञान हो जाने पर मै जो लीला करना चाहता हूँ,वह मै कर नहीं पाउँगा।

(३) एक महात्मा कहते है कि यह कारण भी ठीक नहीं है। दृष्टिमिलन होते ही पूतनाको ज्ञान हो जानेवाली बात ठीक नहीं है। दुर्योधन जब भगवान को मिलने गये थे तब प्रभु से दृष्टि मिलने से क्या उसका स्वभाव बदला था?
उसे कहाँ ज्ञान हुआ था? पर मुझे लगता है कि पूतना विष लेकर आई तब लाला ने सोचा कि-
कुछ भी हो वह मेरे पास आई है तो उसे गोलोक में या वैंकुंठ में ले जाऊ?
पूतना को कैसे सद्गति दू? यह सोचने के लिए प्रभु ने आँखे बंद की है।

(४) चौथे महात्मा कहते है - ईश्वर के पास जाना आसान नहीं है। इस जन्म या पिछले जन्म में पुण्य किये हो तभी ईश्वर के पास जा सकते हो। प्रभुजी सोचते है कि जीव जल्दी मेरे पास नहीं आता,इसने क्या पुण्य किये है जो मेरे पास आई है? इस जन्म में तो कोई पुण्य नह िकिया है। पूर्वजन्म में क्या पुण्य किया होगा यह देखने प्रभु ने आँखे बंद की है। उन्होंने आँखे बंद की तो देखा कि यह तो बलिराजा की पुत्री रत्नावली है।
(रत्नावली की बात आगे आ गई है).

(५) पाँचवे महात्मा कहते है-ईश्वर तो खुल्ली आँखों से सब देख सकते है। लाला की आँख बंद करने का कारण मुझे कुछ और लगता है। मेरा लाला तो छोटा बालक है। पूतना विष लेकर आई तो उसे डर लगा।
कन्हैया सोच रहा था कि उसने तो माना था कि गोकुल के लोग उसे माखन-मिसरी खिलायेंगे
किन्तु यहाँ तो लोग मिसरी के बदले विष पिलाना चाहते है और डर के मारे उसने आँखे बंद कर ली।

(६) छठ्ठे महात्मा कहते है -लाला(ईश्वर) को क्या कभी डर लग सकता है?
कन्हैया ने सोचा कि विष पीने की आदत शिवजी को है,मुझे तो विष पसंद नहीं है।
सो उन्होंने आँखे बंद कर शिवजी से प्रार्थना की। आप पधारे और विष पी जाओ।

(७) सातवें महात्मा कहते है - श्रीकृष्ण की एक-एक आँख में सूर्य और चन्द्र है।
पूतना विष देने आई है यह सूर्य और चन्द्रसे दिखा नहीं गया। इसलिए आँख के दरवाजें  बंद किया है।

(८) आँठवे महात्मा कहते है - आँख बंद करने का कारण मुझे कुछ ओर लगता है। लालाजी सोचते है कि जब इस विषदायिनी पूतना को मै मुक्ति देने जा रहा हूँ तो मुझे माखन-मिसरी खिलने वाले व्रजवािसयों को मै कौन सी गति दूंगा क्योंकि मुक्ति से बढ़कर देने योग्य अन्य कोई चीज़ मेरे पास नहीं है !!
और इस प्रकार सोच कर प्रभु ने आँखे बंद की है।

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