Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-323



यशोदाजी ने सोचा कि मेरे यहाँ आज सारा गाँव आएगा सो लाला का पलना बाहर बैलगाड़ी की नीचे रखा है।
यशोदाजी एक-एक गोपी का आदर करती है। गोपबालकों को भी सुन्दर हीरा-मोती की माला देती है।
गोपियों ने ह्रदय से आशीर्वाद दिए है। बालकृष्णलाल की जय।

घर में आये सभी व्रजवासियों का आदर-सन्मान करती हुई यशोदाजी आनंद में लाल को भूल गई।
थोड़ी देर नींदके बाद इस तरफ कन्हैया की नींद उड़ गई। तो वह सोच रहे है-"कहाँ है मेरी माँ?
वह उत्सव तो मेरा मना रही है जब कि मुझे यहाँ आँगन में गाड़ी की नीचे  रख छोड़ा है।"

उत्सव के दिन भगवान को भुला देना ठीक नहीं है।
यशोदाजी ने उत्सव के दिन ही श्रीकृष्ण को भुला दिया सो विपत्ति आ गई।
व्यवहार से छुटकारा नहीं मिलता। इसे निभाना पड़ता है। जब तक कुछ न कुछ अपेक्षा है,व्यवहार भी चलता रहेगा। व्यवहार करना गुना नहीं है पर व्यवहार करते-करते उस व्यवहारके साथ एक होना गुना है।

व्यापारी दूकान में भगवान की पूजा करता है किन्तु ग्राहक के साथ बातचीतके समय भगवान को भूल जाता है।
वह ग्राहकको ईश्वर की उपस्थिति में ही ठगता है। वह ग्राहक को पांच रूपये की चीज पच्चीस रूपये में बेचता है
और फिर भी कहता है कि- तुम मेरे जान-पहचान में हो सो बिना नफा बेच रहा हूँ।
लेने वाला भी सोचता है कि जान-पहचान के कारण वह उसकी असली  कीमतमें मुझे दे रहा है।
उसे कहाँ पता है असली किमत क्या है?

लक्ष्य को लक्ष्य में रखकर व्यवहार करना है। और वह लक्ष्य है परमात्मा को मिलना।
ज्ञानी महात्माभी व्यवहार तो करते है किन्तु ईश्वरको वे कभी नहीं भूलते।

गोपियों को सम्मानित करने में यशोदाजी कन्हैया को भूल गई। लाला को यह ठीक नहीं लगा।
इसलिए धीरे-धीरे रोना शुरू किया। बालक जब रोता है तो हाथ-पाँव हिलाते है।  
कन्हैया भी हाथ-पाँव हिलाता हुआ रोने लगा। रोते -रोते उसने देखा कि बैल-गाड़ी पर शकटासुर आ बैठा है।

शकटासुर अपनी बहन पूतना की मृत्यु का बदला लेने के लिए आया था।
कन्हैया सोचने लगा कि मामा कंस ने ही यह नया खिलौना भेजा लगता है।
लाला ने जोर से बैल-गाड़ी को लात मारी तो गाड़ी उलट गई और शकटासुर गाड़ी के नीचे दबकर मर गया।
यह ऐसा भान्जा है जो मामा कंस के सभी खिलौने को तोड़ फेंकता है।

गाडी उलट गई तो बड़ा धमाका हुआ। यशोदाजी और गोपियाँ दौड़ती हुई आई है और लाला को उठा लिया।
सब सोचने लगे कि गाडी उलटी कैसे हुई। वहाँ  खेलते हुए बालकों ने कहा कि कन्हैया रो रहा था।  
रोते -रोते पाँव ऊँचा किया और गाडी उलटी हो गई जिससे यह राक्षस मर गया।

शकटासुर चरित्र का रहस्य है -मनुष्यका जीवन गाड़ी है। और अगर यह जीवन-गाडी के नीचे  परमात्मा को रखा जाए तो परमात्मा इस जीवन-गाड़ी को ठोकर मारेंगे। और जीवन-गाड़ी उलटी हो जाएगी।

सामान्यतः जो चीज(मुख्य) हो उसे ऊपर रखी जाती है और गौण को नीचे रखते है।
परमात्मा मुख्य है और विषय गौण है। पर जिसके जीवनमें विषय मुख्य है और परमात्मा गौण है-
उसके जीवन की गाडी उलटी हो जाय उसमे क्या आश्चर्य?
जिसके जीवन में परमात्मा गौण होते  है उसके जीवन में पैसा मुख्य हो जाता है।

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