Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-332



कंस दुष्ट था। उसका हुक्म था कि जो भी माखन हो वह सब उसे देना।
व्रजवासी भोले थे। बच्चों को माखन देने के बजाय सब माखन कंस को देते थे।
कंस यह माखन उसके पहलवानो  को खिलाता था।

कन्हैया  ने पूछा -गायों की सेवा कौन करता है? बालको ने कहा - हम करते है।
कन्हैया ने कहा -ये कैसा? गायों की सेवा तुम करो और माखन खाय कंस?
यह अन्याय मै नहीं होने दूँगा।
यह कररूपी माखन अब मथुरा नहीं जाएगा। उसे माखन चाहिए तो वह गाय रखे। गाँव का माखन गाँव में हो रहना चाहिए। मनसुखा  तू रो मत। कल से मै तुझे रोज माखन खिलाऊँगा।
ईश्वर की हमेशा अपेक्षा रहती। है कि जिव अपने समान ही हो।
जिव ईश्वर से प्रेम करे तो ईश्वर उसे अपने जैसा बनाने का प्रयत्न रखता है।

मित्रों ने कहा -लाला तू हमे रोज़ माखन देगा तो तेरी माँ तुझे पिटेगी।
कन्हैया -नहीं,नहीं। मै अपने घर का नहीं,बाहरसे काम कर तुम सबको माखन खिलाऊँगा।
मित्र- क्या तो माखन की चोरी करेगा?

कन्हैया - हाँ,चोरी तो करनी पड़ेगी। हम एक मण्डली बनाएंगे।
उसका नाम होगा "बालगोपाल चौर्यविद्या प्रचार मंडल" !!!!
मित्र - यदि चोरी करते पकड़ा गए तो?
कन्हैया - मेरे गुरु ने एक मंत्र सिखाया है।
उसका पाठ करने से हमे कोई देख नहीं पाएगा और यदि पकडे भी गए तो छूट जायेंगे।
मित्र - कन्हैया, कौन सा मंत्र है?
कन्हैया-चोरी करते समय “कफल्लम कफल्लम” बोलते रहना। कफल ऋषि ने चौर्यविद्या का प्रचार किया था।
यह मन्त्र उन्ही ऋषि का है।

कन्हैया मित्रों को मंत्र देता है हमको नहीं। इसलिए हमे चोरी करने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए।
यह तो प्रभु की लीला है।
तुलसीदास ने कहा है कि- “ समरथ को नहीं दोष गुसाई” समर्थ को कोई दोष नहीं लगता।

शंकराचार्य ने कहा है - परमात्मा का साक्षात्कार पाने वाले ज्ञानी के हाथों पाप नहीं हो सकता और अगर हो भी जाए तो दोष उसका नहीं माना जाता। जिसे परमात्मा का साक्षात्कार नहीं हुआ है उस अज्ञानी जीव के लिए शास्त्र है। चोरी करनी नहीं वैसी आज्ञा शास्त्र देता है। परमात्मा जिसे अपनाते है फिर पूरा जगत उसका ही हो  जाता है और वह चोरी नहीं करता।

जो परमात्मा (आत्मा) को जानता है,जो परमात्मा के साथ प्रेम करता है,उस ज्ञानी के लिए शास्त्र नहीं है।
शास्त्र पशु के लिए भी नहीं है,शास्त्र मनुष्य के लिए है।

कई लोग कहते है कि कृष्ण माखन चोर है। चोरी करते है।

तत्वदृष्टि से देखो तो ईश्वर सबके मालिक है,जगत में जो कुछ है सब ईश्वर का है। श्रीकृष्ण सर्वेश्वर है। जो गोपी तन मन धन श्रीकृष्ण को अर्पण करती है,उसके घर का थोड़ा माखन अगर श्रीकृष्ण खाए तो क्या वह चोरी है ?

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