ठाकुरजी जिस किसी जीव पर विशिष्ठ अनुग्रह करते है,उसकी मुक्ति हो जाती है,
फिर चाहे वह किसी भी वर्ण का क्यों न हो।
अगर कोई वैश्य हार्दिकता से भगवद भक्ति करे तो कृष्ण प्रसन्न होकर उसे गोलोक धाम में ले जाते है।
पर परमात्मा ऐसी विशिष्ट कृपा कब करे?
तो कहते है कि -जब जीव परमात्मा की प्रार्थना,धारणा,चिंतन,साधना करते-करते दीन होकर रोने लगे,
उस जीव पर प्रभु की विशिष्ट कृपा होती है। उस जीव की उसी जन्म में मुक्ति हो जाती है।
जब जीव अति साधना करता हुआ नम्र बनता है तो वह प्रभु का प्रिय पात्र बन जाता है।
निःसाधन होकर जो साधन करता है वह श्रेष्ठ है।
निः साधन का अर्थ है कि सब कुछ होते हुए भी माने कि कुछ नहीं किया है। ऐसा मानना निराभिमान है।
कई बार ऐसा होता है कि साधना करते हुए जीव अभिमानी होने लगता है। ऐसा होने से उसका पतन होता है।
उपवास करो,खूब भक्ति करो या साधन करो,पर सावधान रहना है।
अंदर का “मै” न बढे, उस अभिमान को मारने लिए यह सब साधन है।
यशोदाजी गोपी से कहती है -तेरे घर कन्हैया आकर तूफान करे तो उसे डाँटना।
वृद्धावस्था में बेटा हुआ है इसलिए मुझे तो प्राणों से भी प्यारा है।
गोपी बोली- माँ,हम उसे क्या डाँटेंगे ? वह हमे डाँटता रहता है। कल वह मेरे घर आया था।
मै उसे पकड़ने गई तो वह ऐसा भागा कि उसके पीछे-पीछे दौड़ती हुई थक गई
और जब उसे पकड़ नहीं सकी तो मुझे अँगूठा दिखाकर चिढ़ाने लगा।
एक और गोपी ने कहा -माँ,तेरा कन्हैया माखन चोरी करता है।
यशोदा ने उसके कान में कहा -आहिस्ता बोल। यह बात किसी से न कहना।
यह बात अगर फैल गई तो लाला को कन्या कौन देगा?
गोपी -कन्हैया जो माँगे सो उसे देंगे किन्तु वह चोरी क्यों करता है?
यशोदा ने कन्हैया को डाँटना चाहा किन्तु फिर सोचने लगी यदि उसे डाटूँगी तो शायद वह डर जाएगा।
इसलिए कन्हैया को समझाती है- “तू घर का माखन क्यों नहीं खाता?”
कन्हैया -मुझे घर का माखन अच्छा नहीं लगता और घर का खाऊँगा तो कम हो जायेगा।
सो मै बाहर जाकर काम करके खाता हूँ। गोपी का माखन बहुत मीठा लगता है।
गोपियाँ यशोदा को फरियाद करती है -माँ,इस माखनचोर को बहुत लाड-प्यार मत करना।
शुकदेवजी बड़े विवेक से कथा करते है। श्रीकृष्ण चोर है,ऐसा उन्होंने खुद कहा नहीं है।
वे कहते है -”राजा मै यह नहीं कहता पर जो गोकुल की गोपियों कहती थी उसका अनुवाद कर रहा हूँ।”
गोपियाँ भले ही अतिप्रेम में कन्हैया को माखनचोर कहे,पर शुकदेवजी ने ऐसा नहीं कहा है।
तो फिर हम कैसे उसे माखनचोर कह सकते है? श्रीकृष्ण तो सर्वेश्वर है,सबके मालिक है।