Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-364


पूर्णमासी ने सोचा- यशोदाजी मुझे रोज पूछती है -मुझे कोई सेवा बताओ। कल मै उनके घर  से थोड़ा मावा लाकर उसकी मिठाई बनाकर कन्हैया के लिए भेजूँगी। मधुमंगल ने कहा- माँ,कल नहीं। मुझे आज ही कुछ दो।
मेरे सब मित्र मेरा मजाक उड़ाते है। मै कुछ लिए बिना नहीं जाऊँगा।

पूर्णमासी ने घर में देखा तो बस थोड़ी से छाछ  थी। खट्टी होगी तो कन्हैया को पसंद नहीं आएगी,ऐसा सोचकर छाछ  में चीनी डालकर मटकी में भरकर दी। उनकी आँखों में आँसू आये है,पर क्या करे। मेरे घर में और कुछ नहीं है। मधुमंगल से कहा -लाला से कहना आज घर में छाछ  के अलावा कुछ नहीं था इसलिए माँ ने रोते-रोते यह  छाछ  दी है। कल मै मिठाई बनाकर दूँगी।

परमात्मा कभी यह नहीं देखते कि जीव  उनके लिए क्या लाया है। वे तो मात्र देखते है कि किस भाव से लाया है। ईश्वर केवल भाव देखते है। वस्तु को देखनेवाला जीव है और भाव को देखनेवाला परमात्मा।

मधुमंगल छाश लेकर आया। अन्य सभी बालक भाँति-भाँति की मिठाई लेकर आए थे इसलिए मधुमंगल छाछ  देते शरमा ने लगा। उसने सोचा कि यदि ऐसी छाछ कन्हैया को दूँगा तो मुझे सारा जन्म ऐसी खट्टी छाछ ही पीनी पड़ेगी। कन्हैया भी उपहास करेगा कि उसकी माँ खट्टी है सो छाछ भी खट्टी है।
ऐसा सोचकर मधुमंगल स्वयं ही छाछ पीने लगा।

भगवान की दृष्टि  उस पर पड़ी। वो बोले-"अरे मधुमंगल तेरी माँ ने यह छाछ मेरे लिए भेजी है और तू मुझे देने के बजाय खुद पी रहा है। पूर्णमासी ने प्रेम से यह छाछ मेरे लिए भेजी है। "
मधुमंगल जल्दी-जल्दी पीने  लगा। कन्हैया झपट कर उसके पास आया और मटकी उसके हाथ से लेने लगे
पर वह तो खाली हो गई थी। कन्हैया ने  देखा कि मधुमंगल के मुँह पर थोड़ी से छाछ लगी है तो उसका मुँह
चाटने लगे। उसी समय ब्रह्माजी ने आकाश में से यह दृश्य देखा। उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ।

मधुमंगल ने कहा -कन्हैया यह तू क्या कर रहा है? कन्हैया ने कहा -तेरी झूठी छाछ पीनेसे मेरी बुध्धि सुधरेगी।
तेरे पिता पवित्र ब्राह्मण है इसलिए तेरी झूठी छाछ पीने  से मेरी बुध्धि पवित्र होगी।

श्रीकृष्ण बालक के साथ बालक,भोगी के साथ भोगी,ज्ञानी के साथ ज्ञानी है। बालक ब्रह्मज्ञान की बातें समझ नहीं
शकते अतः भगवान  उनका मन,खाने-पीने  की बातों,माखनचोरी आदि से हरते है।
वे बालकों के मित्र बनकर अनायास ही ब्रह्मानुभव कराते है।

कन्हैया को मधुमंगल का मुँह चाटते हुए देख ब्रह्माजी को आश्चर्य हुआ। श्रीकृष्ण ईश्वर है कि साधारण देव।
लोग श्रीकृष्ण को ईश्वर  मानते है पर ये तो गोपबालक का मुँह चाट रहे है। ईश्वर कभी ऐसे हो सकते है क्या ?
यह वही  ब्रह्मा है जिन्होंने क्षीर-सागर में जाकर भगवान को अवतार लेने को कहा था,और उनके  देवकीजी के
गर्भ में आने पर गर्भ-स्तुति की थी। आज ये ब्रह्माजी श्रीकृष्ण की सगुण  लीला देखकर चकरा गए है।

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