जैसा आनन्द यशोदा को दिया वैसा ही आनंद वृध्द गोपियों को,गोपबालको को,गायों और बछड़ो को
श्रीकृष्ण ने दिया। अतः यह सर्वोदय लीला है।
अन्य सभी अवतार अंशावतार है किन्तु राम और कृष्ण का अवतार पूर्ण है।
अनेक शक्तिओं के साथ अनन्त जीवों का कल्याण हो वह प्रभु का पूर्ण अवतार है।
थोड़े जीवों का कल्याण करने थोड़ी शक्ति के साथ जो पधारे वह अंशावतार।
नृसिंहअवतार में क्रियाशक्ति प्रकट हुई और ज्ञानशक्ति गुप्त रही थी।
उसी तरह अन्य अवतारों में मात्र एक-एक शक्ति प्रकट हुई थी और अन्य शक्तियाँ गुप्त रही थी।
श्रीकृष्ण ने प्रत्येक लीला में एक-एक देव का पराभव किया।
वत्सलीला में ब्रह्मा का अभिमान उतार दिया। गोवर्धनलीला में इन्द्र का और रासलीला में कामदेव का पराभव किया।
एक दिन कन्हैया माँ से कहने लगा -माँ अब मै बड़ा हो गया हूँ। गायों को चराने के लिए जाऊ?
यशोदा -अभी तू छोटा है।जरा बड़ा हो जा फिर अच्छा मुहूर्त देखकर तुझे गोपाल बनाऊँगी।
इतने में वहाँ शांडिल्य ऋषि का आगमन हुआ।
यशोदाजी ने कन्हैया का जन्माक्षर देते हुए उनसे गोपाल बनाने का मुहूर्त पूछा।
कार्तिक मास शुक्लपक्ष अष्टमी के दिन कन्हैया गोपाल बना है। कन्हैया को उस दिन नींद भी नहीं आई।
प्रातःकाल में स्नानादि से कन्हैया निवृत हुआ ही था कि शांडिल्य ऋषि आए।
कन्हैया ने गायों की पूजा की तो उनको बड़ा आनन्द हुआ क्योंकि उनका स्वामी,उनकी पूजा कर रहा था।
गायों को फूलमाला पहना कर मिठाई खिलाई। गायों ने आशीर्वाद दिया,हमारे लाला की जय-जयकार हो।
महात्माओं ने कहा है - अगर प्रभु संपत्ति दे तो गायों की सेवा करो। गाय में सभी देव का वास है।
गाय की सेवा करने से अपमृत्यु टल जाती है। गाय तो व्रजभक्त है।
आजकल तो लोग घर में कुत्ते रखते है। उन्हें कार में बैठाकर घूमने ले जाते है। कुत्ते से उन्हें ज्यादा प्यार है।
कहते है कि कुत्ते से अधिक स्नेह करे और यदि कुत्ते में वासना रह जाए तो अगले जन्म में कुत्ते की योनि में
जन्म लेना पड़ेगा। कुत्ते का तिरस्कार मत करो,उसे रोटी दो किन्तु उसके पीछे पागल मत बनो।
एकनाथ भागवत में एकनाथजी ने एक विनोद किया है। रामजी ने क्या नहीं किया?राक्षसों का वध किया,अनेक यज्ञ-याग किये,किन्तु वे राजाधिराज थे सो गायों की सेवा नहीं कर पाए। उनके मन में गौसेवा की वासना रह गई। अतः वे कृष्ण का अवतार लेकर गायों की सेवा करने आए। अर्थात राम और कृष्ण एक ही है।