Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-438



नंदजी,उद्धवको आगे कहते है-कि-उसने कंस जैसे राक्षसों का वध किया सो लोग उसे ईश्वर मानते है।
लोगोंको जो ठीक लगे या माने -किन्तु मेरा तो वह पुत्र है। कन्हैया मेरा है। नंदजी की आँखों से आँसू बहने लगे।
उद्धवजी,वसुदेवजीसे कहना कि -कन्हैया उन्ही का पुत्र है। मै तो उनका दास हूँ।
लाला से कहना कि -उसकी माँ सारा दिन रोती रहती है। वह जब यहाँ था तो माँ को मना लेता था।
अब उसे कौन मनाये? नंदजी इतना बोलते=-बोलते व्याकुल हो गए।

उद्धवजी उलझन में पड गए। मै इन्हें क्या उपदेश दूँ? इन्हें तो हर कही कृष्ण ही दिखाई देते है।
पलने में,घर में,आँगन में,वन में यमुना किनारे,कदम्ब की डाली पर सभी में  कृष्ण के ही दर्शन करते है।
ब्रह्म की सर्वव्यापकता का उपदेशक होकर भी वैसा अनुभव आज तक मैं नहीं कर पाया हूँ।
मै ऐसी ब्रह्मदृष्टिवाले नंदजी को क्या उपदेश हूँ?
तब-उन्होंने नंदजी से कहा,बाबा,धन्य है आप। आपका जीवन सफल हो गया।आप कृष्णमय हो चुके है।

उसी समय यशोदाजी वहाँ आ पहुँची। उद्धवजी,सच-सच बताओ कि मेरा लाला कुशल तो है न।
वह खाने के समय बहुत जिद्ध करता था। वह कहीं दुबला तो नहीं हो गया न? क्या वह आनंद में तो है?
क्या वह कभी मुझे याद करता है? वहाँ उसे कौन मनाता होगा?
गोकुल में था तो वह मेरे आँसू देख नहीं सकता था। वह मुझे मना लेता था।

जब मै यमुनाजी जाती हूँ तो उसका श्याम रंग कन्हैयाकी याद दिला देता है।
मुझे लगता कि अभी यमुनाजी के जल में से बाहर निकलकर मेरी गोदमें आ बैठा है।
उससे पूछना कि उसकी माता ने ऐसा कौन-सा अपराध किया है कि वह यहाँ आने का नाम तक नहीं ले रहा है।
मैंने उसे एक बार मूसलके साथ बाँधा था,इसलिए तो वह नहीं रूठा है?

मै तो उसकी माँ नहीं हूँ। उसकी माता तो देवकी है। देवकी से कहना कि अगर उसे सेविका की आवश्यकता हो तो मुहे बुला ले। मै लाला को दूर से निहारूँगी। और किसी से नहीं कहूँगी कि मै लाला की माँ हूँ।
मुझेअब कृष्ण-विरह में मत मारो। कृष्ण जहाँ है वहाँ मुझे ले जाओ। उद्धव भगवान तुम्हारा कल्याण करेगा।
यशोदाजी की आँखों से आँसू बह  रहे है।
मै नारायण से प्रार्थना करती हूँ कि कन्हैया भले गोकुल न आये पर जहाँ हभी रहे सुखी रहे।

उद्धवजी कहते है कि--माताजी,श्रीकृष्ण आप सबको बार-बार याद करते है।
वे स्वयं आनेवाले थे किन्तु मथुरा का शासन उन्होंने संभाला है,सो उन्हें अवकाश ही नहीं मिलता है।
मुझसे कहा-मै मथुरा में आकर इस कारोबार में डूब गया हूँ ,सो तू व्रज जाकर मेरी माँ को सन्देश देना कि -
कन्हैया जरूर आयेगा। मेरे आने के अगले दिन पूरी रात आपकी ही बातें की है।

   PREVIOUS PAGE          
        NEXT PAGE       
      INDEX PAGE