Bhagvat-Rahasya-Hindi-भागवत रहस्य-480


जगत में सभी जानते है कि अकेले ही जाना है,फिर भी स्त्री को पुरुष के बिना और पुरुष को स्त्री के बिना,
अथवा दोनों को बच्चों के बिना चैन नहीं पड़ता। इस संसार के सभी मिथ्या है,असत्य है।

एक श्रीमंत नगरशेठ का जवान पुत्र रोज एक महात्मा की कथा सुनने जाता  
किन्तु शाम को ६ बजे उठकर चला जाता था। महात्मा रोज यह देखते।
एक दिन महात्मा ने युवक से उसका कारण पूछा। क्या आपको कथा में रस नहीं पड़ता?
युवक- महाराज,मै अपने माता-पिता का एक मात्र पुत्र हूँ। यदि घर लौटने में कुछ देरी हो जाए तो वे मुझे ढूँढने निकलते है और मेरी पत्नी भी मेरे लिए अपने प्राण बिछाती है।
आप संसारियों के सम्बन्ध को मिथ्या बतलाते है किन्तु आपको इसका कोई अनुभव नहीं है।
अपने  घरवालों को मेरे पर अधिक प्रेम है।

महात्मा- यदि ऐसा है तो हम उनके प्रेम की परीक्षा करते है। मै तुझे यह जड़ीबुटी  देता हूँ जिसके खाने से शरीर गरम हो जायेगा। मै तेरा उपचार करने आऊँगा। फिर जो होगा  वह तू देखना।

नगरशेठ के पुत्र ने घर जाकर जडीबुटी ली। उसकी गर्मी से शरीर खूब गरम हो गया।
माता-पिता ने घबराकर डॉक्टरों को बुलाया किन्तु उनके उपचार से  बुखार नहीं उतरा।
युवक की पत्नी भी कल्पान्त करती है।

इतने में वह महात्मा आ पँहुचे। सभी ने उनसे पुत्र का इलाज करने की प्रार्थना की।
महाराज ने चिकित्सा करते हुए कहा,किसी ने जादू-टोना कर दिया है। मै उपाय कर सकता हूँ।
उन्होंने एक बर्तन में पानी मँगवाया और पुत्र के मस्तक पर से उतार कर कहा,
मैंने मंत्रशक्ति से उस जादू-टोने को इस पानी में उतार लिया है।
अब यदि इस युवक को बचाना है तो यह पानी किसी को पीना होगा।

सभी ने एक साथ पूछा- महाराज,किन्तु इस पानी को पीने  वाले की क्या दशा होगी?
महात्मा- वह शायद मर भी जाये-किन्तु यह युवक बच जायेगा। सो तुम में से कोई यह पानी पी जाओ।

युवक की माता ने कहा- मै अपने लाडले के प्राण बचाने के लिए यह पानी पिने के लिए तैयार हूँ किन्तु मै पतिव्रता हूँ। मेरी मृत्यु के बाद मेरे वृद्ध पति की सेवा कौन करेगा?
युवक के पिता ने कहा -मै यह पानी पी लू किन्तु मेरी मृत्यु के बाद इस बेचारी मेरी पत्नी की क्या दशा होगी?
वह मेरे बिना कैसे जियेगी?
महात्मा ने हास्य में कहा - तुम दोनों आधा-आधा पानी पी लो,दोनों के सभी क्रिया -कर्म एक साथ हो जायेंगे?

युवक की पत्नी ने कहा-मै तो अभी जवान हूँ। मैंने तो अभी  संसार के सुख देखे नहीं है।
मेरी वृद्धा सासु ने तो संसार के सभी सुख भोग लिए है। उसे ही पानी पिलाओ।
अंत में सभी ने कहा -महाराज आप पानी पी जाओ। आपके पीछे तो कोई रोने वाला नहीं है। आप हमेशा कहते है कि परोपकार सबसे बड़ा धर्म है सो आप स्वयं परोपकार कर दीजिये। हम आपके पीछे हर साल श्राद्ध और ब्रह्मभोज करेंगे। महात्मा ने पानी पी लिया।
पुत्र बिस्तर में लेटा हुआ यह सब नाटक देख रहा था। उसने संसार की असारता देख ली।
उसने उठकर महात्मा के साथ घर छोड़ दिया।
पुत्रने महात्मा को कहा-आपने कहा था वह वह सत्य है। इस जगत में कोई किसी का नहीं है।
सभी सम्बन्ध स्वार्थ के है। जीव  का सच्चा सम्बन्ध ईश्वर से है।

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